अंतर्मन

शायरी करना तो शायरों का काम है , हम तो बस यूंही अरमां बयां करते हैं !!

कुछ इस तरह से तुम मेरी ज़िंदगी में आये..

कुछ इस तरह से तुम
मेरी ज़िंदगी में आये

बिखरी हुई पंखुड़ियों से जैसे 
दिया हो फिर से फूल खिलाये
कुछ इस तरह से तुम
मेरी ज़िंदगी में आये


नादानियों को मेरी 
तुमने सदा दिया भुलाये 
कुछ इस तरह से तुम
मेरी ज़िंदगी में आये


कितने ही पाठ तुमने 

ज़िंदगी के हमें पढ़ाये 
कुछ इस तरह से तुम
मेरी ज़िंदगी में आये


दबा के अरमानों को अपने 
हमारे लिए मुस्कुराये 
कुछ इस तरह से तुम
मेरी ज़िंदगी में आये


चाहा तो कितना कुछ 
ख़ास न हम कर पाए 
कुछ इस तरह से तुम
मेरी ज़िंदगी में आये


नव जीवन, नव दीप हमारा 
तुमने दिया जलाये 
कुछ इस तरह से तुम
मेरी ज़िंदगी में आये !!



0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें