अंतर्मन

शायरी करना तो शायरों का काम है , हम तो बस यूंही अरमां बयां करते हैं !!

मैं सपने देखता हूँ ..

मैं सपने देखता हूँ ..
मैं सपने देखता हूँ ..

तेरी राह में , तेरे इंतज़ार में ,
तुझसे मिलाने की चाह में ,
बर्फीली रातों में धुप सेकता हूँ ..
मैं सपने देखता हूँ ..

तू दूर है मुझसे, इस बात का कोई गम नहीं है ,
जब तक दूर होकर भी, दिल से तेरे दूर हम नहीं हैं ,
मिट जायेंगे ये फासले, ऐसी उम्मीद सहेजता हूँ ,
मैं सपने देखता हूँ ..

दुनिया जैसे थम सी जाती है , जब याद तेरी मुझे आती है ,
आँखें बंद करुं या खोलूँ ,  नज़र तो अब बस तू ही आती है ,
अब तो तुझको सोचकर , कभी अकेले , मुस्कुराके देखता हूँ ..
मैं सपने देखता हूँ ..

- शैल
मार्च - २०१०