अंतर्मन

शायरी करना तो शायरों का काम है , हम तो बस यूंही अरमां बयां करते हैं !!

मैं सपने देखता हूँ ..

मैं सपने देखता हूँ ..
मैं सपने देखता हूँ ..

तेरी राह में , तेरे इंतज़ार में ,
तुझसे मिलाने की चाह में ,
बर्फीली रातों में धुप सेकता हूँ ..
मैं सपने देखता हूँ ..

तू दूर है मुझसे, इस बात का कोई गम नहीं है ,
जब तक दूर होकर भी, दिल से तेरे दूर हम नहीं हैं ,
मिट जायेंगे ये फासले, ऐसी उम्मीद सहेजता हूँ ,
मैं सपने देखता हूँ ..

दुनिया जैसे थम सी जाती है , जब याद तेरी मुझे आती है ,
आँखें बंद करुं या खोलूँ ,  नज़र तो अब बस तू ही आती है ,
अब तो तुझको सोचकर , कभी अकेले , मुस्कुराके देखता हूँ ..
मैं सपने देखता हूँ ..

- शैल
मार्च - २०१०



एहसास ..

एक अंजाना सा एहसास,
एक अंजानी सी उलझन.
जो करती है परेशान मुझे,
बेचैन रहता है मेरा मन.  

क्या वास्तव में,
मेरा एहसास , एक एहसास था.
या एक वहम था,
जिस पर मेरा सोचना कुछ खास था .

हज़ारों बार जब इस दिल को,
टटोला मैंने .
बस हमेशा एक अनंत शून्य को,
वहां पाया मैंने.

आज जब मैं हूँ तनहा
और मेरा मन है दुखी.
तब उसी शून्य में मुझे,
एक हलकी परछाई दिखी.

तभी मेरे दिल से,
ये आवाज़ है आयी.
कौन है ये, जिसकी मुझे 
समय पड़ने पर याद है आयी.

दिल ने कहा, यही है वो,
जो है सबकी मंजिल.
क्योंकि आज नहीं तो कल,
उठ जायेगी इस, दुनिया की महफ़िल.

आज मुझे, ये एहसास हुआ,
जैसे मेरी उलझन सुलझ गयी.
मेरे अंजाने से एहसास को,
नयी परिभाषा मिल गयी.

- शैल
नवम्बर - २०००