अंतर्मन

शायरी करना तो शायरों का काम है , हम तो बस यूंही अरमां बयां करते हैं !!

पहचान

एक रात,
घने अँधेरे में,
मन की सूनसान 
गलियों में,
डोल रहा था,
अपने विचारों की
पोटली
टटोल रहा था,
बिखरी यादों की
तस्वीरें,
जोड़ रहा था,
मैंने पाया..
पहले जो कम था,
अब वो ज्यादा हो गया,
पल पल
ज़िन्दगी बदलना,
कायदा हो गया ...
कहाँ से चले थे,
और
कहाँ आ गए ..
समय चलता गया
और, हम बदलते गए..
लोग मिले,
बिछड़ते गए..
लेकिन लगता है,
कुछ बातें
नयी,
और, कुछ अब भी
वही हैं ...
जो जैसी थी,
वही की वही है..
और,
शायद वो ही
कुछ बातें,
मेरी पहचान सही है ..

शैल
अगस्त '12