अंतर्मन

शायरी करना तो शायरों का काम है , हम तो बस यूंही अरमां बयां करते हैं !!

भ्रष्टाचार

व्यवस्थाओं की हार,
नपुंसकों की सरकार,
कब तक सहेंगे हम,
इस देश में भ्रष्टाचार.

महंगाई की मार,
प्रजातंत्र पर प्रहार,
कब तक सहेंगे हम,
इस देश में भ्रष्टाचार.

करोड़ों के घोटाले,
गरीबी की हाहाकार.
कब तक सहेंगे हम,
इस देश में भ्रष्टाचार.

आतंक का साया,
डर का प्रचार,
कब तक सहेंगे हम,
इस देश में भ्रष्टाचार.

घूसखोरी की दुनिया,
सब नियम हैं बेकार,
कब तक सहेंगे हम,
इस देश में भ्रष्टाचार.

पूंजीवादियों का आधिपत्य,
अनसुनी, जनता की ललकार,
कब तक सहेंगे हम,
इस देश में भ्रष्टाचार.

फूट-वाद की राज-निति .
और फायदा उठाते बस दो-चार.
कब तक सहेंगे हम,
इस देश में भ्रष्टाचार.

वो स्वर्दिम भारत का
सपना, कौन करेगा साकार,
सार्थक प्रयासों से ही रुकेगा,
अब, इस देश में भ्रष्टाचार....

शैल
2012