अंतर्मन

शायरी करना तो शायरों का काम है , हम तो बस यूंही अरमां बयां करते हैं !!

एहसास ..

एक अंजाना सा एहसास,
एक अंजानी सी उलझन.
जो करती है परेशान मुझे,
बेचैन रहता है मेरा मन.  

क्या वास्तव में,
मेरा एहसास , एक एहसास था.
या एक वहम था,
जिस पर मेरा सोचना कुछ खास था .

हज़ारों बार जब इस दिल को,
टटोला मैंने .
बस हमेशा एक अनंत शून्य को,
वहां पाया मैंने.

आज जब मैं हूँ तनहा
और मेरा मन है दुखी.
तब उसी शून्य में मुझे,
एक हलकी परछाई दिखी.

तभी मेरे दिल से,
ये आवाज़ है आयी.
कौन है ये, जिसकी मुझे 
समय पड़ने पर याद है आयी.

दिल ने कहा, यही है वो,
जो है सबकी मंजिल.
क्योंकि आज नहीं तो कल,
उठ जायेगी इस, दुनिया की महफ़िल.

आज मुझे, ये एहसास हुआ,
जैसे मेरी उलझन सुलझ गयी.
मेरे अंजाने से एहसास को,
नयी परिभाषा मिल गयी.

- शैल
नवम्बर - २०००