अंतर्मन

शायरी करना तो शायरों का काम है , हम तो बस यूंही अरमां बयां करते हैं !!

खुदगर्जी

जीवन  की  मुश्किल  दौड़  में ,
कश्मकश  में ,
कुछ  पाने  की  होड़  में ,
हम  बस  भागते  रहते  हैं ,
रात  भर  जागते  रहते  हैं ,
ख़ुशी  की  तलाश  में ,
ख्वाहिशों  में ,
किसी  के  इंतज़ार  में ,
ना चाहते  हुए  भी ,
हम  बस  बदलते  जाते  हैं ,
खुदगर्ज़  बनते  जाते  हैं  ..
हमारी  दुआओं  में ,
वफाओं  में ,
खुद की सजाओं  में ,
कोई  कमी  न  रह  जाये ,
कि खुदगर्जी  के  आलम  में ,
कोई  न  हमारे  साथ  हो ,
क्यूंकि  मोड़  सभी  को  आते  हैं ,
कुछ  ख़ुशी  से  बदलते  हैं ,
और  कुछ  बदल  दिए  जाते  हैं !!!

- शैल
२५ - मार्च