अंतर्मन

शायरी करना तो शायरों का काम है , हम तो बस यूंही अरमां बयां करते हैं !!

तनहाई ..

दो चार पल
ये तनहाई के,
काटे, कटे न
लम्हे जुदाई के.. 


याद तेरी अब
इसक़दर आती है,
माँगता हूँ तुझको ही
हर सजदे में खुदाई के ..


तन्हा रातें अब 
कटती नहीं हैं ,
काटनी हो ठंड
जैसे बिन रजाई के..


तेरे बिन मैं
हूँ अधूरा, 
जैसे शादी 
बिन सगाई के..


याद तुझे भी
आती होगी ,
अब साथ हर आह के 
साथ हर तन्हाई के..


माना कि दूर हैं ,
मिल जाएंगे,
बीत जाएंगे
पल ये तन्हाई के ..


शैल १२'१३ 

अजनबी

सफर अंजाना
जिंदगी का ..
मिल जाता है कभी
साथ अजनबी का ..
दिल में हर वक़्त
ख्याल किसी का ...
कितना कुछ किया
अपना, अजनबी का ...
हो अगर रास्ता कठिन 
जिंदगी का ..
कर भरोसा बात का, 
उसकी बंदगी का ..
आपस में समझ है
वायदा ज़िन्दगी का ..
गम ना कर उसके लिये
अगर टूटे क़ायदा 
जिंदगी का ...
जब से मिला है ये 
साथ अजनबी का ..
सच हुआ अपना, हर
सपना जिंदगी का ...

शैल 
१०/१३ 

कश-म-कश


किसपे चलाऊं
कैसे चलाऊं, किसी पे
चलता नहीं मेरा बस
कश-म-कश

कुछ भी करूँ
कैसे भी करूँ, लगता है
गया हूँ मैं फस
कश-म-कश

क्या होना था
कब क्यूँ है हुआ
बोल रही है , मेरी
हर एक नस-नस
कश-म-कश

कोई सुनाये
कोई समझ न पाए,
होती ज़िन्दगी में
बड़ी असमंजस
कश-म-कश

दुनिया के मायाजाल में
क्या खोया, क्या पाया
इसी उलझन में,
मैं गया हूँ फस
कश-म-कश

मर हम गए
मरहम ढूँढते,
घाव-ए-ज़िन्दगी में
भर गया है पस
कश-म-कश

पाया है कुछ
पाना है सब कुछ,
लालसा का शिकंजा
अब गया है कस
कश-म-कश

- शैल 
जून '१३ 

ग़र वक़्त मेरे बस में होता !!

मैं एक छोटा बच्चा होता
ग़र वक़्त मेरे बस में होता,
दुनियादारी की फ़िक्र कहाँ
ख़ूब खेलता और जम के सोता
ग़र वक़्त मेरे बस में होता !!

यहाँ कूदता, वहां दौड़ता
शरारतें ढेर करता होता
और डैडी से मिली डांट तो
मम्मी की गोद में ख़ूब रोता
ग़र वक़्त मेरे बस में होता !!

स्कूल में एग्जाम के बाद गर्मी का
सेट एक लंबा प्रोग्राम होता,
पूरा दिन धूप में क्रिकेट और 
कहीं कॉमिक्स का ढेर होता 
ग़र वक़्त मेरे बस में होता !!

कॉलेज में वो धूम मचाता
कितनी लडकियाँ मैं पटाता,
दारु-वारु, पार्टी-शार्टी का
आलम तो अब हर रोज़ होता 
ग़र वक़्त मेरे बस में होता !!

मैं तो शायद फ़ौज में होता 
और शहीदों में नाम कमाता,
यूँ लैपी के सामने बैठ के
न अपना सर और आँखें फोड़ता
ग़र वक़्त मेरे बस में होता !!

जो गलतियाँ मैंने कीं 
न कभी मैं उन्हें दोहराता,
देखे थे जो सपने मैंने 
हर वो एक ख़्वाब पूरा होता 
ग़र वक़्त मेरे बस में होता !!

कर जाता कुछ ऐसा काम
कि दुनिया में नाम है होता,
लिखने को बहुत हैं बातें 
और न अंत कभी इसका होता 
ग़र वक़्त मेरे बस में होता !!


शैल
मई '१३ 

शादी का लड्डू

दिल ये मेरा
गाना गा रहा है 
हो जाऊंगा तेरा 
थोडा घबरा रहा है 

छोटी मुलाकातों से 
दिन रात की बातें होंगी 
आज़ादी जाने का डर 
अब मुझको सता रहा है 

जहाँ दिल के बादशाह थे 
अब आटे दाल की फिक्रें होंगी 
होने से पहले ही
एक एक पैसा बचा रहा है 

लड्डू खाने की जल्दी में 
कुछ अता पता किया नहीं 
स्वाद उसका कैसा होगा 
सोच के वो घबरा रहा है 

कहाँ सब करने की आज़ादी थी 
अब सोचने की छूट न होगी 
लेकिन सबके सामने हसके 
देखो कैसा इतरा रहा है 

सबने कितना समझाया 
पर मानने को तैयार नहीं 
अब तो खुद ही अनुभव करने का 
अपना मन वो बना रहा है  

शैल मार्च '१३ 

तेरा होना

तेरा होना , प्यार की बहार है 
न होना, ग़म - ए - बेशुमार है 

तेरा होना, ख़ुशी की वजह है 
न होना, दर्द - ए - जिरह है 

तेरा होना, मेरा कल, आज और कल है 
न होना, दाँव - ए - ज़िन्दगी असफ़ल है 

तेरा होना, आगे बढ़ने की चाहत है 
न होना, रंज - ओ - ग़म की आहट  है 

तेरा होना, सूरज के समान है 
न होना, बिन रोशनी जहांन है 

तेरा होना, दुःख में राहत है 
न होना, सुख  पाने की चाहत है 

तेरा होना, सुकून - ए - दिल है 
न होना, हालाते - ए - मुश्किल है 

तेरा होना, मेरा घर - संसार है 
न होना, मेरी सोच के उस पार है।।

शैल - मार्च '१३