अंतर्मन

शायरी करना तो शायरों का काम है , हम तो बस यूंही अरमां बयां करते हैं !!

दिल की कसक..

सैनिकों की शहादत 
को देख 
आँखें नम सी हो जाती हैं
और कुछ न कर पाने की 
मजबूरी 
दुःख थोड़ा और बढ़ाती है 
दिल की कसक, मेरी
बस दिल में रह जाती है.

नेताओं का कुर्सी प्रेम 
जनता को भड़काती है 
और धरम के नाम पे 
लोगों को  
आपस में लड़वाती है
दिल की कसक, मेरी
बस दिल में रह जाती है.

सब लोगों को 
अब खुद की पड़ी है 
दूसरों की परवाह 
कहाँ है 
ख़ुदा की ज़रूरत भीi
अब मज़बूरी में आती है 
दिल की कसक, मेरी
बस दिल में रह जाती है.

क्या होगा अब देश का अपने 
सोच के डर लगता है
और भविष्य की 
चिंता मुझको 
अब हर पल सताती है
दिल की कसक, मेरी
बस दिल में रह जाती है.

- शैल 
२०१४ 

लगता है, कुछ छूट रहा है...

लगता है, कुछ छूट रहा है.

बहती दरिया का पानी 
जैसे सूख रहा है 
लगता है, कुछ छूट रहा है.

मुश्किलों में पड़ा 
राह में जूझ रहा है 
लगता है, कुछ छूट रहा है.

क्या गलत, क्या सही 
न कुछ सूझ रहा है
लगता है, कुछ छूट रहा है.

ज़िंदगी की पहेली वो 
अकेला बूझ रहा है 
लगता है, कुछ छूट रहा है.

यादों का मायाजाल 
अब ऐसे लूट रहा है.
लगता है, कुछ छूट रहा है.

पाने का वो सुनहरा 
सपना जैसे टूट रहा है 
लगता है, कुछ छूट रहा है.

- शैल 
२०१४ 

इंतज़ार...

कब से उस वक्त के 
इंतज़ार में 
साँस थमी सी है।
चाहतों के इकरार
में, बेकरार 
उम्मीद लगी सी है।
दीदार-ए-हुस्न-ए-यार 
की आग 
दिल में लगी सी है। 
क्या गलत, सही 
अन्तर्मन में 
अब ठनी सी है। 
भावनाओं के सागर में 
पाने की उसे 
लहर उठी सी है। 
तेरी हाँ सुनने को 
अब, मेरी 
ज़िन्दगी रुकी सी है। 

- शैल 
२०१३