अंतर्मन

शायरी करना तो शायरों का काम है , हम तो बस यूंही अरमां बयां करते हैं !!

लगता है, कुछ छूट रहा है...

लगता है, कुछ छूट रहा है.

बहती दरिया का पानी 
जैसे सूख रहा है 
लगता है, कुछ छूट रहा है.

मुश्किलों में पड़ा 
राह में जूझ रहा है 
लगता है, कुछ छूट रहा है.

क्या गलत, क्या सही 
न कुछ सूझ रहा है
लगता है, कुछ छूट रहा है.

ज़िंदगी की पहेली वो 
अकेला बूझ रहा है 
लगता है, कुछ छूट रहा है.

यादों का मायाजाल 
अब ऐसे लूट रहा है.
लगता है, कुछ छूट रहा है.

पाने का वो सुनहरा 
सपना जैसे टूट रहा है 
लगता है, कुछ छूट रहा है.

- शैल 
२०१४ 

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