अंतर्मन

शायरी करना तो शायरों का काम है , हम तो बस यूंही अरमां बयां करते हैं !!

ग़र वक़्त मेरे बस में होता !!

मैं एक छोटा बच्चा होता
ग़र वक़्त मेरे बस में होता,
दुनियादारी की फ़िक्र कहाँ
ख़ूब खेलता और जम के सोता
ग़र वक़्त मेरे बस में होता !!

यहाँ कूदता, वहां दौड़ता
शरारतें ढेर करता होता
और डैडी से मिली डांट तो
मम्मी की गोद में ख़ूब रोता
ग़र वक़्त मेरे बस में होता !!

स्कूल में एग्जाम के बाद गर्मी का
सेट एक लंबा प्रोग्राम होता,
पूरा दिन धूप में क्रिकेट और 
कहीं कॉमिक्स का ढेर होता 
ग़र वक़्त मेरे बस में होता !!

कॉलेज में वो धूम मचाता
कितनी लडकियाँ मैं पटाता,
दारु-वारु, पार्टी-शार्टी का
आलम तो अब हर रोज़ होता 
ग़र वक़्त मेरे बस में होता !!

मैं तो शायद फ़ौज में होता 
और शहीदों में नाम कमाता,
यूँ लैपी के सामने बैठ के
न अपना सर और आँखें फोड़ता
ग़र वक़्त मेरे बस में होता !!

जो गलतियाँ मैंने कीं 
न कभी मैं उन्हें दोहराता,
देखे थे जो सपने मैंने 
हर वो एक ख़्वाब पूरा होता 
ग़र वक़्त मेरे बस में होता !!

कर जाता कुछ ऐसा काम
कि दुनिया में नाम है होता,
लिखने को बहुत हैं बातें 
और न अंत कभी इसका होता 
ग़र वक़्त मेरे बस में होता !!


शैल
मई '१३