अंतर्मन

शायरी करना तो शायरों का काम है , हम तो बस यूंही अरमां बयां करते हैं !!

सोच

अधूरे शब्द अधूरी सोच 
पूरे होने का उनको 
कबसे है इंतज़ार , 
मन की गहराईयों में  
दबे हैं कहीं  
कितने तनहा बेबस लाचार ,
कब होंगे पूरे 
वो ख्यालों के मकां अधूरे 
क्या होगा उनका 
जानने को बेकरार ,
जीवन की रफ़्तार में 
दूसरे के लिए वक़्त नहीं 
तब इस सोच के बारे में 
सोचकर क्यूँ वक़्त करें बेकार ,
इसी सोच के कारण शायद 
अभी तक है अधूरी 
ये सोच ,
ज़रा सोचो और करो विचार !!

शैल 

अक्टूबर' १५ 

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