अंतर्मन

शायरी करना तो शायरों का काम है , हम तो बस यूंही अरमां बयां करते हैं !!

अब तो हाल-ए-दिल कहने से डरता हूँ
न जाने किस बात से कितनों के दिल टूट जाएं
हमारा तो सुकूं-ऐ-ज़िंदगी ख़्वाब है
क्यूँ दूसरोँ की ज़िंदगी दुश्वार हो जाये
क़िस्मत ने ज़ख़्म दिए हैं मग़र
बदल दो लकीरें कि कुछ और हो जाये
तालीम हो कुछ ऐसी की
इंसा इंसानियत का हो जाये
अमन-ओ-चैन तरज़ीह दें ग़र हम
यही ज़मीं हमारी, हमारा स्वर्ग हो जाये !!

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मुझको तेरी वो हर बात याद है , तुझसे वो मेरी हर मुलाकात याद है .
भूल सकता नहीं हूँ इक पल साथ तेरा, वो हर एक दिन , हर एक रात याद है


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जब कोई ख्याल दिल से टकराता है ॥
दिल ना चाह कर भी, खामोश रह जाता है ॥
कोई सब कुछ कहकर, प्यार जताता है॥
कोई कुछ ना कहकर भी, सब बोल जाता है ॥

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जैसे ही ये खबर मार्केट में आई होगी,
हज़ारों आशिकों ने अपनी जान गवाई होगी .
एक बार उनकी तरफ देखकर ,
बस थोडा सा मुस्कुरा देना ,
शायद मुर्दों में जान आ जाये ,
अगर थोड़ी भी सांस बचायी होगी ..

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ऐसा नहीं एहसास नहीं है ,
उनको मेरी चाहत का .
उनकी अपनी मजबूरी है ,
जब इंतज़ार हो किसी और की आहट का .


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कुछ मंजिलों की तलाश में ,
हर वक़्त यूंही चलते गए .
आसान थे कुछ रास्ते ,
कुछ ज़िन्दगी बदलते गए ..


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हमें नींद न आये ,
इक-रार-ए-वफ़ा के ऐतबार में ,
लगता है , ज़िन्दगी न निकल जाये हमारी ,
इस इंतज़ार में ,
वो हमसे क्यूं इसकदर खफा से हैं ,
पता नहीं क्या कमी रह गयी ,

हमारे दिल में , उनके प्यार में ..

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