अंतर्मन

शायरी करना तो शायरों का काम है , हम तो बस यूंही अरमां बयां करते हैं !!

Talaash


जाने  किस  मंजिल  की  तलाश  में , जिए  जा  रहा  हूँ .
कहीं  तो  होगी  वो , एईसी  आशा , किया  जा  रहा  हूँ .
जिए  जा  रहा  हूँ .........................
सोचता  हूँ , की  काश  वो  मंज़र  आये .
मेरी  मंजिल  मुझे  नज़र  आये .
चलूँ , फिर  दूर  तक , उसे  पाने  को .
इसमें  ही , पूरी  ज़िन्दगी  गुज़र  जाये ..

- Shail and Abhi
2008-2009


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