जीवन के हर मोड़ पे,
कितने सपने हैं खड़े
उन सपनों को करने,
पूरी शिद्दत से हम पड़े
कुछ हों पूरे , कुछ अधूरे
कुछ थे छोटे , कुछ बड़े
कितने सपने , उन सपनों में
मैं अपनों से, हैं परे
हम चाहें , जो भी चाहें
सब कुछ मिले , खड़े खड़े
सब चाहें होना, पर उस होने पे
हमें करना, न कुछ पड़े
सब अच्छा , सब बदला हो
बस हमें न कभी बदलना पड़े।
कब सुधरेंगे हालात
जहाँ आगे बढ़ने के लिए,
किसी को पीछे ना करना पड़े
सब रहे मिलके और
किसी को किसी से ना झगड़ना पड़े
हम औरों के बारे में भी सोचें,
सिर्फ़ तभी नहीं, जब काम पड़े
काश वो भी एक दिन आये
जब अच्छा होने की आस छोड़
अच्छा करने को , हम खुद भिड़े
सोच बदले, परिस्थिति को जाने
पर उनको बदलने के लिए,
कभी सच को ना बदलना पड़े
नज़रिया समाज का यूँ बदले
पैसों से नहीं , कर्मों से
कितने सपने हैं खड़े
उन सपनों को करने,
पूरी शिद्दत से हम पड़े
कुछ हों पूरे , कुछ अधूरे
कुछ थे छोटे , कुछ बड़े
कितने सपने , उन सपनों में
मैं अपनों से, हैं परे
हम चाहें , जो भी चाहें
सब कुछ मिले , खड़े खड़े
सब चाहें होना, पर उस होने पे
हमें करना, न कुछ पड़े
सब अच्छा , सब बदला हो
बस हमें न कभी बदलना पड़े।
कब सुधरेंगे हालात
जहाँ आगे बढ़ने के लिए,
किसी को पीछे ना करना पड़े
सब रहे मिलके और
किसी को किसी से ना झगड़ना पड़े
हम औरों के बारे में भी सोचें,
सिर्फ़ तभी नहीं, जब काम पड़े
काश वो भी एक दिन आये
जब अच्छा होने की आस छोड़
अच्छा करने को , हम खुद भिड़े
सोच बदले, परिस्थिति को जाने
पर उनको बदलने के लिए,
कभी सच को ना बदलना पड़े
नज़रिया समाज का यूँ बदले
पैसों से नहीं , कर्मों से
सफ़लता की पहचान बने
मिलजुल कर करे सब प्रयास ऐसे
मैं बढूं हम बढ़ें देश बढे
- शैल २०१६
मिलजुल कर करे सब प्रयास ऐसे
मैं बढूं हम बढ़ें देश बढे
- शैल २०१६
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