अंतर्मन

शायरी करना तो शायरों का काम है , हम तो बस यूंही अरमां बयां करते हैं !!

अब वक़्त मिला है ...

अब वक़्त मिला है
सोने का 
ख़्वाबों के रास्ते
उन लम्हों में खोने का

अब वक़्त मिला है 
खोने का 
पुरानी यादों में
कुछ वक़्त साथ होने का

अब वक़्त मिला है 
होने का
एहसास अब वो
तुझको खोने का 

अब वक़्त मिला है
ढ़ोने का
जुदाई का बोझ
कंधों में सुखोने का
 
अब वक़्त मिला है 
रोने का
आँसुओं से
पलकें भिगोने का

अब वक़्त मिला है 
धोने का
मन की कालिख़,
साथ सभी के होने का 

अब वक़्त मिला है
बोने का
बीज नयी उम्मीद,
नए इरादे संजोने का 

अब वक़्त मिला है. . .

~ शैल
दिसंबर' २०१४ 

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