अंतर्मन

शायरी करना तो शायरों का काम है , हम तो बस यूंही अरमां बयां करते हैं !!

दिल की कसक..

सैनिकों की शहादत 
को देख 
आँखें नम सी हो जाती हैं
और कुछ न कर पाने की 
मजबूरी 
दुःख थोड़ा और बढ़ाती है 
दिल की कसक, मेरी
बस दिल में रह जाती है.

नेताओं का कुर्सी प्रेम 
जनता को भड़काती है 
और धरम के नाम पे 
लोगों को  
आपस में लड़वाती है
दिल की कसक, मेरी
बस दिल में रह जाती है.

सब लोगों को 
अब खुद की पड़ी है 
दूसरों की परवाह 
कहाँ है 
ख़ुदा की ज़रूरत भीi
अब मज़बूरी में आती है 
दिल की कसक, मेरी
बस दिल में रह जाती है.

क्या होगा अब देश का अपने 
सोच के डर लगता है
और भविष्य की 
चिंता मुझको 
अब हर पल सताती है
दिल की कसक, मेरी
बस दिल में रह जाती है.

- शैल 
२०१४ 

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