तुम
जब से मिले हो
ऐसा होता है,
तेरे ज़िक्र
के बग़ैर
सब अधूरा होता है,
जब तेरी
याद ना हो
ऐसी
ना कोई रात , ना
कोई दिन होता है,
है भरोसा
तुझे हम पर
यही एक
भरोसा होता है,
और इस
भरोसे की बुनियाद
आपस में बोला
हर एक सच होता है,
तेरी ख़ुशी
ही चाही
ग़म ना हमारा
प्रथम होता है,
क्यूंकि
तेरी नज़र में
ये सब
ग़लत, जुरम होता है,
इस एक
ज़िंदगी में
कितने नव आकाश
नव जीवन , नव
ऊर्जा का संचार होता है,
बस
पहचान और
थाम ले उसको
वक़्त ना ऐसे
हर बार मेहरबां होता है,
ग़र तू
वज़ह है
इस ख़ुशी की मेरी
मेरा यहाँ
ऐसे होना ही
तेरी
ख़ुशी का पैग़ाम होता है !!
- शैल
अप्रैल,. २०१८
जब से मिले हो
ऐसा होता है,
तेरे ज़िक्र
के बग़ैर
सब अधूरा होता है,
जब तेरी
याद ना हो
ऐसी
ना कोई रात , ना
कोई दिन होता है,
है भरोसा
तुझे हम पर
यही एक
भरोसा होता है,
और इस
भरोसे की बुनियाद
आपस में बोला
हर एक सच होता है,
तेरी ख़ुशी
ही चाही
ग़म ना हमारा
प्रथम होता है,
क्यूंकि
तेरी नज़र में
ये सब
ग़लत, जुरम होता है,
इस एक
ज़िंदगी में
कितने नव आकाश
नव जीवन , नव
ऊर्जा का संचार होता है,
बस
पहचान और
थाम ले उसको
वक़्त ना ऐसे
हर बार मेहरबां होता है,
ग़र तू
वज़ह है
इस ख़ुशी की मेरी
मेरा यहाँ
ऐसे होना ही
तेरी
ख़ुशी का पैग़ाम होता है !!
- शैल
अप्रैल,. २०१८
1 टिप्पणियाँ:
wah
एक टिप्पणी भेजें