दो चार पल
ये तनहाई के,
काटे, कटे न
लम्हे जुदाई के..
याद तेरी अब
इसक़दर आती है,
माँगता हूँ तुझको ही
हर सजदे में खुदाई के ..
तन्हा रातें अब
कटती नहीं हैं ,
काटनी हो ठंड
जैसे बिन रजाई के..
तेरे बिन मैं
हूँ अधूरा,
जैसे शादी
बिन सगाई के..
याद तुझे भी
आती होगी ,
अब साथ हर आह के
साथ हर तन्हाई के..
माना कि दूर हैं ,
मिल जाएंगे,
बीत जाएंगे
पल ये तन्हाई के ..
शैल १२'१३
ये तनहाई के,
काटे, कटे न
लम्हे जुदाई के..
याद तेरी अब
इसक़दर आती है,
माँगता हूँ तुझको ही
हर सजदे में खुदाई के ..
तन्हा रातें अब
कटती नहीं हैं ,
काटनी हो ठंड
जैसे बिन रजाई के..
तेरे बिन मैं
हूँ अधूरा,
जैसे शादी
बिन सगाई के..
याद तुझे भी
आती होगी ,
अब साथ हर आह के
साथ हर तन्हाई के..
माना कि दूर हैं ,
मिल जाएंगे,
बीत जाएंगे
पल ये तन्हाई के ..
शैल १२'१३