किसपे चलाऊं
कैसे चलाऊं, किसी पे
चलता नहीं मेरा बस
कश-म-कश
कुछ भी करूँ
कैसे भी करूँ, लगता है
गया हूँ मैं फस
कश-म-कश
क्या होना था
कब क्यूँ है हुआ
बोल रही है , मेरी
हर एक नस-नस
कश-म-कश
कोई सुनाये
कोई समझ न पाए,
होती ज़िन्दगी में
बड़ी असमंजस
कश-म-कश
दुनिया के मायाजाल में
क्या खोया, क्या पाया
इसी उलझन में,
मैं गया हूँ फस
कश-म-कश
मर हम गए
मरहम ढूँढते,
घाव-ए-ज़िन्दगी में
भर गया है पस
कश-म-कश
पाया है कुछ
पाना है सब कुछ,
लालसा का शिकंजा
अब गया है कस
कश-म-कश
कैसे चलाऊं, किसी पे
चलता नहीं मेरा बस
कश-म-कश
कुछ भी करूँ
कैसे भी करूँ, लगता है
गया हूँ मैं फस
कश-म-कश
क्या होना था
कब क्यूँ है हुआ
बोल रही है , मेरी
हर एक नस-नस
कश-म-कश
कोई सुनाये
कोई समझ न पाए,
होती ज़िन्दगी में
बड़ी असमंजस
कश-म-कश
दुनिया के मायाजाल में
क्या खोया, क्या पाया
इसी उलझन में,
मैं गया हूँ फस
कश-म-कश
मर हम गए
मरहम ढूँढते,
घाव-ए-ज़िन्दगी में
भर गया है पस
कश-म-कश
पाया है कुछ
पाना है सब कुछ,
लालसा का शिकंजा
अब गया है कस
कश-म-कश
- शैल
जून '१३
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