अंतर्मन

शायरी करना तो शायरों का काम है , हम तो बस यूंही अरमां बयां करते हैं !!

शादी का लड्डू

दिल ये मेरा
गाना गा रहा है 
हो जाऊंगा तेरा 
थोडा घबरा रहा है 

छोटी मुलाकातों से 
दिन रात की बातें होंगी 
आज़ादी जाने का डर 
अब मुझको सता रहा है 

जहाँ दिल के बादशाह थे 
अब आटे दाल की फिक्रें होंगी 
होने से पहले ही
एक एक पैसा बचा रहा है 

लड्डू खाने की जल्दी में 
कुछ अता पता किया नहीं 
स्वाद उसका कैसा होगा 
सोच के वो घबरा रहा है 

कहाँ सब करने की आज़ादी थी 
अब सोचने की छूट न होगी 
लेकिन सबके सामने हसके 
देखो कैसा इतरा रहा है 

सबने कितना समझाया 
पर मानने को तैयार नहीं 
अब तो खुद ही अनुभव करने का 
अपना मन वो बना रहा है  

शैल मार्च '१३ 

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