मेरी हर सांस अब नाम तेरा ही लेती है ,
मेरी हर धड़कन में आवाज़ तेरी सुने देती है ,
निगाहों में अब बस तेरा इंतज़ार रहता है ,
न जाने दिल मेरा क्यूँ तुझसे इतना प्यार करता है .
मैं हर दिन , हर पल बस तुझे ही याद करता हूँ ,
कहीं तुझे सोच सोच के पागल न हो जाऊं
बस अब इसी बात से डरता है ,
न जाने दिल मेरा क्यूँ तुझसे इतना प्यार करता है .
तेरे चहरे पे एक शिकन भी जान मेरी ले लेती है ,
और तेरी कुशी की खातिर अब ये कुछ भी कर सकता है ,
न जाने दिल मेरा क्यूँ तुझसे इतना प्यार करता है .
तुझे न देखूं तू दिल मेरा कुछ यूँ बेक़रार रहता है ,
बस हर पल मिलाने की चाह में कुछ जुगत लगाता रहता है .
न जाने दिल मेरा क्यूँ तुझसे इतना प्यार करता है .
आँखें मेरी नम हो जाती है , ज़िन्दगी जेसे थम सी जाती है ,
तेरे मेरे साथ न होने के एहसास से नवज जेसे जम सी जाती है .
तेरे बिन जीने से अब हर पल ही डरता रहता है ,
न जाने दिल मेरा क्यूँ तुझसे इतना प्यार करता है .
मैं जानता हूँ तेरा प्यार मेरे लिए नहीं है ,
पर क्या करूँ दिल को मेरे इस सच्चाई पर एत्बार नहीं है .
ये तो बस हर पल तुझे पाने की दुआ करता रहता है ,
न जाने दिल मेरा क्यूँ तुझसे इतना प्यार करता है .
तेरा दूर होने का दर हर वक़्त ही मन में रहता है .
पागल सा हो जाता हूँ और काबू खुद पर नहीं रहता है .
तुझको पाने के लिए ये कुछ भी कर सकता है ,
न जाने दिल मेरा क्यूँ तुझसे इतना प्यार करता है .
कितना भी समझाऊं दिल को अपने लेकिन ,
तुझे पाने की उम्मीद वो हर वक़्त ही करता है ,
न जाने दिल मेरा क्यूँ तुझसे इतना प्यार करता है .
- शैल
जुलाई २०१०
1 टिप्पणियाँ:
अपने जज़्बात बखूबी लिखे हैं ..अच्छी पेशकश
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