क्या करें , क्या न करें; कुछ समझ नहीं पाते हैं।
अच्छा करने की कोशिश में, कुछ न कुछ गलत कर जाते हैं;
और उस गलती के होने पर, हर पल ही पछताते हैं।
लोग ही इतने अच्छे हैं की , हम खुद-बी-खुद बुरे बन जाते हैं.
किस्मत ही ख़राब है, बस दिल को यही बात समझाते हैं;
ओंर दूसरों की ख़ुशी में शामिल होकर खुद भी खुश हो जाते हैं।
न जाने हम अपने गम को, बस यूंही क्यूं छुपाते हैं
हाँ शायद, एक उम्मीद पर, अपनी सारी ज़िन्दगी जिए जाते हैं..
- शैल
ओक्टुबर - २००९
2 टिप्पणियाँ:
Meri Jaan ..... Ye to Katil Shari Hai.
Me and Middah Both Agree
Nice one, from the heart (I can make that out) :)
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