जीवन की मुश्किल दौड़ में ,
कश्मकश में ,
कुछ पाने की होड़ में ,
हम बस भागते रहते हैं ,
रात भर जागते रहते हैं ,
ख़ुशी की तलाश में ,
ख्वाहिशों में ,
किसी के इंतज़ार में ,
ना चाहते हुए भी ,
हम बस बदलते जाते हैं ,
खुदगर्ज़ बनते जाते हैं ..
हमारी दुआओं में ,
वफाओं में ,
खुद की सजाओं में ,
कोई कमी न रह जाये ,
कि खुदगर्जी के आलम में ,
कोई न हमारे साथ हो ,
क्यूंकि मोड़ सभी को आते हैं ,
कुछ ख़ुशी से बदलते हैं ,
और कुछ बदल दिए जाते हैं !!!
- शैल
२५ - मार्च