कतरा - कतरा करके जोड़ी हैं , सारी चीजें ज़रुरत की .
फिर भी आँखों में क्यूं नमी सी है ,
ऐसा लगता है , आज भी ज़िन्दगी में ,
हमें किसी की कमी सी है !!
भाग - दौड़ के इस दौर में भी जब ,
लगे की ज़िन्दगी क्यूं थमी सी है .
भीड़ में , महफिलों में भी , लगता है की ,हमें किसी की कमी सी है !!
बातों से बातें होती है ,
इन बातों में , यादें किसी की जमी सी है
कितना भी खुश हो ले हम , लेकिन हमें किसी की कमी सी है !!
क्या करें, क्या न करें , यही
दिल और दिमाग में ठनी सी है .
काश वो मुझे मिल ही जाये ,
हमें जिसकी कमी सी है !!
- शैल
मई - २०१०